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उप॑ शिक्षापत॒स्थुषो॑ भि॒यस॒मा धे॑हि॒ शत्रु॑षु । पव॑मान वि॒दा र॒यिम् ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

upa śikṣāpatasthuṣo bhiyasam ā dhehi śatruṣu | pavamāna vidā rayim ||

पद पाठ

उप॑ । शि॒क्ष॒ । अ॒प॒ऽत॒स्थुषः॑ । भि॒यस॑म् । आ । धे॒हि॒ । शत्रु॑षु । पव॑मान । वि॒दाः । र॒यिम् ॥ ९.१९.६

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:19» मन्त्र:6 | अष्टक:6» अध्याय:8» वर्ग:9» मन्त्र:6 | मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:6


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (पवमान) ‘पवत इति पवमानः संबुद्धौ तु पवमान’ हे सबको पवित्र करनेवाले भगवन् ! आप (अपतस्थुषः उपशिक्ष) जो आपके समीप में रहनेवाले हैं, उनको शिक्षा दीजिये और (शत्रुषु भियसम् आधेहि) शत्रुओं में भय उत्पन्न करिये तथा (विदः रयिम्) उनके धन को अपहरण कर लीजिये ॥६॥
भावार्थभाषाः - मित्रदल से तात्पर्य यहाँ उस दल का है, जो न्यायकारी और दोनों पर दया और प्रेम करनेवाला हो। शत्रुदल से तात्पर्य उस दल का है, जो “शातयतीति शत्रुः” शुभगुणों का नाश करनेवाला हो, इसलिये उक्त मन्त्रार्थ में अन्याय का दोष नहीं, क्योंकि न्याय यही चाहता है कि दैवी सम्पत्ति के गुण रखनेवाले वृद्धि को प्राप्त हों और आसुरी सम्पत्ति के रखनेवाले नाश को प्राप्त हों ॥६॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (पवमान) हे सर्वस्य पावयितः भगवन् ! (अपतस्थुषः उपशिक्ष) स्वानुकूलजनान् उपदिशतु तथा (शत्रुषु भियसम् आधेहि) स्वप्रतिकूलेभ्यश्च भयमादधातु अथ (विदः रयिम्) तद्धनानि चापहरतु ॥६॥